Friday, July 20, 2007

नेताजी

एक डाकू ने बड़ी शान से
सीना तान के राजनीति में प्रवेश किया
मगर जल्दी ही संन्यास ले लिया
पूछा इसका कारण
तो इस तरह उसने किया शंका का निवारण
"हम यूं ही अड़े हैं
यहां तो हमारे बाप भरे पड़े है।"



वोटों की गिनती के दौरान
नेताजी के पास
एक खास चमचा आया
और उसने बताया
'सरकार आपके यहां हुई हैं
कन्यायें चार' ।
सुनते ही नेताजी तैश में आए
और यों चिल्लाये --
"पुन: गणना की जाये।"
राजेन्द्र चंचल



एक सांप ने नेताजी को डसा
नेता का कुछ नहीं बिगड़ा, और सांप चल बसा
जब इसका कारण, कवि मोहन सोनी की समझ में नहीं आया
तब हमने नारद की तरह उन्हें समझाया
कि जमूरे ! सांप के तो सिर्फ पूंछ में और फन में ही जहर होता है
लेकिन नेता के हर में जहर होता है
सांप के काटे का इलाज है, नेता का काटा लाइलाज है,
नेता जनता रूपी पार्वती के गले का भार है
सांप शुद्ध समाजवादी है, नेता विशुद्ध सम्प्रदायवादी है।
सांप शुद्ध द्वैतवादी है नेता अद्वैतवादी है।
क्योंकि नेता अपने अलावा
और कुछ नहीं देखता है।
इसीलिये जमाना सांप के आगे नहीं
नेता के आगे घुटने टोकता है।

भौंपू - सत्यदेव शास्त्री



कल सरेआम चौराहे पर
एक डाकू ने नेता का कर दिया खून
लाश की पीठ पर चस्पा कर दिया यह मज़मून
हम समाज के सेवक
जनता की दोहरी मार नहीं सह सकते
एक क्षेत्र में दो डाकू एक साथ नहीं रह सकते।

मणिक वर्मा



पप्पू के पापा
आपने सुनी पड़ोसियों की शिकायत
आपका सपूत
पड़ोस की लड़कियां छेड़ता है
काम कुछ करता नहीं
सुबह-शाम दंड पेलता है
तहसीलदार के जाली हस्ताक्षर बनाकर
चीनी और मिट्टी के तेल के
परमिट बना रहा है
हमको उल्लू बनाकर
पड़ोसियों को चूना लगा रहा है
सुना है लोगों ने
थाने में रिपोर्ट करा दी है
वह जेल जाने वाला है
मैंने कहा -- नहीं डार्लिंग
वह नेता बनने वाला है।

डा. वीरेन्द्र तरुण

4 comments:

Anonymous said...

मस्त

Udan Tashtari said...

बहुत मजेदार संकलन किया है, मित्र. साधुवाद. माणिक वर्मा जी को पढ़ना और सुनना हमें शुरु से पसंद है.

sanjay patel said...

नेताओं बडे़ प्रेम से नवाज़ा है भाई
बेशर्मी है इन महानों की जाई
पिसे हैं और पिसते रहेंगे हम सब
इन डाकुओं ने देश की लुटिया डुबाई
सही है ये बात नेता-डाकू की एक है ज़ात
एक तरफ़ कुँआ तो दूसरी ओर खाई.

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बढिया संकलन किया है।पढ कर बहुत आनंद आया।