Monday, November 12, 2007
Monday, November 5, 2007
गलतफहमी
हमारा टेलीफोन है
कितना महान!
एक नमूना देखिये श्रीमान
हमने लगाया रेलवे इंक्वायरी
और लग गया कब्रिस्तान
हुआ यों कि हमें
एक कवि सम्मेलन में जाना था
और रेलगाड़ी में अपना आरक्षण कराना था
इसलिये हमने रेलवे इंक्वायरी का
नंबर मिलाया
लेकिन हमें क्या मालूम कि उधर से
कब्रिस्तान के बाबू ने उठाया
बोल - 'फरमाइये'
हमने कहा - 'भाई साहब, हमें केवल एक बर्थ चाहिये
क्या मिल जाएगी?'
वो बोला - 'बैठे ही आपके लिये हैं
हमारी सेवा
किस दिन काम आयेगी !
हमारे होते हुये बिलकुल मत घबराइये
एक क्या, पचास सीटें खाली हैं
पूरे खानदान को ले आइये!'
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Sunday, November 4, 2007
शैल चतुर्वेदी को श्रद्धांजली - चल गई
हिंदी जगत के प्रख्यात हास्य कवि, कलाकार, लेखक श्रीमान शैल चतुर्वेदी जी का निधन विगत सोमवार को मुंबई स्थित निवास पर हो गया। श्रद्धांजली के रुप में पेश है उनकी एक प्रसिद्ध रचना चल गई
वैसे तो एक शरीफ इंसान हूँ
आप ही की तरह श्रीमान हूँ
मगर अपना आंख से
बहुत परेशान हूँ
अपने आप चलती है
लोग समझते हैं -- चलाई गई है
जान-बूझ कर मिलाई गई है।
एक बार बचपन में
शायद सन पचपन में
क्लास में
एक लड़की बैठी थी पास में
नाम था सुरेखा
उसने हमें देखा
और बांई चल गई
लड़की हाय-हाय
क्लास छोड़ बाहर निकल गई।
थोड़ी देर बाद
हमें है याद
प्रिसिपल ने बुलाया
लंबा-चौड़ा लेक्चर पिलाया
हमने कहा कि जी भूल हो गई
वो बोल - ऐसा भी होता है भूल में
शर्म नहीं आती
ऐसी गंदी हरकतें करते हो,
स्कूल में?
और इससे पहले कि
हकीकत बयान करते
कि फिर चल गई
प्रिंसिपल को खल गई।
हुआ यह परिणाम
कट गया नाम
बमुश्किल तमाम
मिला एक काम।
इंटरव्यूह में, खड़े थे क्यू में
एक लड़की था सामने अड़ी
अचानक मुड़ी
नजर उसकी हम पर पड़ी
और आंख चल गई
लड़की उछल गई
दूसरे उम्मीदवार चौंके
फिर क्या था
मार-मार जूते-चप्पल
फोड़ दिया बक्कल
सिर पर पांव रखकर भागे
लोगबाग पीछे, हम आगे
घबराहट में घुस गये एक घर में
भयंकर पीड़ा था सिर में
बुरी तरह हांफ रहे थे
मारे डर के कांप रहे थे
तभी पूछा उस गृहणी ने --
कौन ?
हम खड़े रहे मौन
वो बोली
बताते हो या किसी को बुलाऊँ ?
और उससे पहले
कि जबान हिलाऊँ
चल गई
वह मारे गुस्से के
जल गई
साक्षात दुर्गा-सी दीखी
बुरी तरह चीखी
बात की बात में जुड़ गये अड़ोसी-पड़ोसी
मौसा-मौसी
भतीजे-मामा
मच गया हंगामा
चड्डी बना दिया हमारा पजामा
बनियान बन गया कुर्ता
मार-मार बना दिया भुरता
हम चीखते रहे
और पीटने वाले
हमें पीटते रहे
भगवान जाने कब तक
निकालते रहे रोष
और जब हमें आया होश
तो देखा अस्पताल में पड़े थे
डाक्टर और नर्स घेरे खड़े थे
हमने अपनी एक आंख खोली
तो एक नर्स बोली
दर्द कहां है?
हम कहां कहां बताते
और इससे पहले कि कुछ कह पाते
चल गई
नर्स कुछ नहीं बोली
बाइ गॉड ! (चल गई)
मगर डाक्टर को खल गई
बोला --
इतने सीरियस हो
फिर भी ऐसी हरकत कर लेते हो
इस हाल में शर्म नहीं आती
मोहब्बत करते हुए
अस्पताल में?
उन सबके जाते ही आया बार्ड बॉय
देने लगा अपनी राय
भाग जाएं चुपचाप
नहीं जानते आप
बढ़ गई है बात
डाक्टर को गड़ गई है
केस आपका बिगड़वा देगा
न हुआ तो मरा बताकर
जिंदा ही गड़वा देगा।
तब अंधेरे में आंखें मूंदकर
खिड़की के कूदकर भाग आए
जान बची तो लाखों पाये।
एक दिन सकारे
बाप जी हमारे
बोले हमसे --
अब क्या कहें तुमसे ?
कुछ नहीं कर सकते
तो शादी कर लो
लड़की देख लो।
मैंने देख ली है
जरा हैल्थ की कच्ची है
बच्ची है, फिर भी अच्छी है
जैसी भी, आखिर लड़की है
बड़े घर की है, फिर बेटा
यहां भी तो कड़की है।
हमने कहा --
जी अभी क्या जल्दी है?
वे बोले --
गधे हो
ढाई मन के हो गये
मगर बाप के सीने पर लदे होवह घर फंस गया तो संभल जाओगे।
तब एक दिन भगवान से मिलके
धड़कता दिल ले
पहुंच गए रुड़की, देखने लड़की
शायद हमारी होने वाली सास
बैठी थी हमारे पास
बोली --
यात्रा में तकलीफ तो नहीं हुई
और आंख मुई चल गई
वे समझी कि मचल गई
बोली --
लड़की तो अंदर है
मैं लड़की की मां हूँ
लड़की को बुलाऊँ
और इससे पहले कि मैं जुबान हिलाऊँ
आंख चल गई दुबारा
उन्होंने किसी का नाम ले पुकारा
झटके से खड़ी हो गईं
हम जैसे गए थे लौट आए
घर पहुंचे मुंह लटकाए
पिता जी बोले --
अब क्या फायदा
मुंह लटकाने से
आग लगे ऐसी जवानी में
डूब मरो चुल्लू भर पानी में
नहीं डूब सकते तो आंखें फोड़ लो
नहीं फोड़ सकते हमसे नाता ही तोड़ लो
जब भी कहीं जाते हो
पिटकर ही आते हो
भगवान जाने कैसे चलाते हो?
अब आप ही बताइये
क्या करूं?
कहां जाऊं?
कहां तक गुन गांऊं अपनी इस आंख के
कमबख्त जूते खिलवाएगी
लाख-दो-लाख के।
अब आप ही संभालिये
मेरा मतलब है कि कोई रास्ता निकालिये
जवान हो या वृद्धा पूरी हो या अद्धा
केवल एक लड़की
जिसकी एक आंख चलती हो
पता लगाइये
और मिल जाये तो
हमारे आदरणीय 'काका' जी को बताइये।
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Labels: व्यंग्य कविता, शैल चतुर्वेदी
Saturday, November 3, 2007
चुंबन और झापड़
गली के मोड़ पर
एक आलीशान दुकान
तीन ग्राहक विद्यमान
वृद्धा, तरूणी, जवान
सामानें के बीच उलझा हुआ दुकानदार
चल रहा लेन-देन, बात-व्यवहार
ज्योति उड़ी धुआंधार
निविड़ अंधकार
स्याही में सभी डूबने लगे।
अंधेरे में जवान को सूझै
मजाक एक प्यारा
उसने अपने हाथ का चुंबन लिया
और दुकानदार को एक झापड़ मारा।
चुंबन और झापड़ गूंज उठा
ज्यों लाभ और घाटा
लड़खड़ा उठा सन्नाटा
बुढ़िया सोचने लगी --
चरित्रवान युवती ने उचित व्यवहार किया
चुंबन का झापड़ से जवाब दिया।
तरुणी सोचती है --
हाय रे मूर्ख नादान, अजनबी अनजान
मुझे छोड़कर बुढ़िया पर मर-मिटा
बेचारा अनायास पिटा।
और दुकानदार पछताता हुआ
अपना गाल सहलाता हुआ
सोच-सोच कर रहा है गम
हाय-हाय, चुंबन उसने लिया पिट गये हम।
--- सूड़ फैजाबादी
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Monday, August 13, 2007
डाक्टर मरीज
एक महिला ने अपने एक सहयोगी से किसी अच्छे फिजीशियन के बारे में पूछताछ की। सहयोगी ने उन्हें अच्छे लेकिन मंहगे डाक्टर का नाम और पता दे दिया, जो एक बार की फीस के 500 रूपये लेता था, और दूसरी बार दिखाने के 100 रुपये लेता था। महिला थोड़ी चालाक थी वब डाक्टर के पास इलाज के लिये गई और कहा - डाक्टर साहब मैं यहां इलाज के लिये दूसरी बार आई हूं। डाक्टर भी कम चतुर नहीं था। उसने महिला की जांच की और कहा - अभी आप वही दवा जारी रखें जो मैंने आपको पिछली बार बताई थी।
डॉक्टर (मरीज से)- तुम तो मामूली-सा पीठ दर्द बता रहे थे, लेकिन तुम्हारी तो धड़कन भी काफी बढ़ी हुई है। मरीज (डॉक्टर से)- जी, धड़कन तो दीवार पर लिखी आपकी फीस देखकर बढ़ी है।
नेता (डॉक्टर से)- 'डॉक्टर साहब कोई ऐसा इलाज कीजिए जिससे मेरा वजन ज्यादा हो जाए।' डॉक्टर (नेता से)- 'अरे ऐसा आप क्यों चाहते हैं'? नेता - 'बात यह है कि जल्दी ही मुझे चांदी से तौला जाने वाला है।'
लेडी डॉक्टर (चिंटू से)- तुम रोज सुबह क्लीनिक के बाहर खड़े होकर औरतों को क्यों घूरते हो? चिंटू (लेडी डॉक्टर से)- जी आप ही ने बाहर लिखा है औरतों को देखने का समय सुबह 10 से 12 ।
एक व्यक्ति लंबी उम्र के लिये डाक्टर से मिलने गया, और उसके लिये उपाय पूछने लगा - डाक्टर साहब, क्या लंबी उम्र पाने का कोई तरीका है? डाक्टर ने कहा - शादी कर लो। व्यक्ति ने पूछा - क्या इससे कोई मदद मिलेगी? डाक्टर - नहीं, लेकिन इसके बाद आप कभी लंबी उम्र की कामना नहीं करेंगे।
डॉक्टर (सोहन से)- साहब आप अपनी बीवी के बारे में बिलकुल परेशान न हों। यों समझिए कि अस्पताल से आपके घर बिलकुल नई औरत जाएगी। सोहन (डॉक्टर से)- सच! मगर मेरी बीवी को पता चल गया तो?
डॉक्टर (मरीज से)- मैं आपको चार पुडि़या दे रहा हूं। एक पुडि़या रोज खानी है। मरीज (डॉक्टर से)- डॉक्टर साहब, इस बार पतले कागज में दीजिएगा, पिछली बार निगलने में बहुत तकलीफ हुई थी।
मरीज (वैद्य से)- वैद्य जी आपके यहां दवा बहुत महंगी हैं। क्या जड़ी-बूटी बहुत मुश्किल से मिलती हैं? वैद्य (मरीज से)- जड़ी-बूटी तो मिल जाती है, पर मरीज बहुत मुश्किल से मिलते हैं।
नेताजी (डॉक्टर से)- डॉक्टर साहब मेरी रिपोर्ट जरा मेरी ही भाषा में समझाने का प्रयास करें। डॉक्टर (नेताजी से)- तो सुनिए, मेरी रिपोर्ट के अनुसार आपका ब्लडप्रेशर घोटालों की तरह बढ़ रहा है, फेफड़े झूठे आश्वासन दे रहे हैं और हृदय त्यागपत्र देने वाला है।
मरीज (डॉक्टर से)- डॉक्टर साहब, मैं एक महीने से अस्पताल में भर्ती हूं। कम से कम मुझे मेरी बीमारी तो बताइए। डॉक्टर (मरीज से)- तुम्हें अपनी बीमारी की पड़ी है, मेरी समझ में नहीं आ रहा कि तुम से बिल किस बात का चार्ज करूं।
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Friday, July 20, 2007
नेताजी
एक डाकू ने बड़ी शान से
सीना तान के राजनीति में प्रवेश किया
मगर जल्दी ही संन्यास ले लिया
पूछा इसका कारण
तो इस तरह उसने किया शंका का निवारण
"हम यूं ही अड़े हैं
यहां तो हमारे बाप भरे पड़े है।"
वोटों की गिनती के दौरान
नेताजी के पास
एक खास चमचा आया
और उसने बताया
'सरकार आपके यहां हुई हैं
कन्यायें चार' ।
सुनते ही नेताजी तैश में आए
और यों चिल्लाये --
"पुन: गणना की जाये।"
राजेन्द्र चंचल
एक सांप ने नेताजी को डसा
नेता का कुछ नहीं बिगड़ा, और सांप चल बसा
जब इसका कारण, कवि मोहन सोनी की समझ में नहीं आया
तब हमने नारद की तरह उन्हें समझाया
कि जमूरे ! सांप के तो सिर्फ पूंछ में और फन में ही जहर होता है
लेकिन नेता के हर में जहर होता है
सांप के काटे का इलाज है, नेता का काटा लाइलाज है,
नेता जनता रूपी पार्वती के गले का भार है
सांप शुद्ध समाजवादी है, नेता विशुद्ध सम्प्रदायवादी है।
सांप शुद्ध द्वैतवादी है नेता अद्वैतवादी है।
क्योंकि नेता अपने अलावा
और कुछ नहीं देखता है।
इसीलिये जमाना सांप के आगे नहीं
नेता के आगे घुटने टोकता है।
भौंपू - सत्यदेव शास्त्री
कल सरेआम चौराहे पर
एक डाकू ने नेता का कर दिया खून
लाश की पीठ पर चस्पा कर दिया यह मज़मून
हम समाज के सेवक
जनता की दोहरी मार नहीं सह सकते
एक क्षेत्र में दो डाकू एक साथ नहीं रह सकते।
मणिक वर्मा
पप्पू के पापा
आपने सुनी पड़ोसियों की शिकायत
आपका सपूत
पड़ोस की लड़कियां छेड़ता है
काम कुछ करता नहीं
सुबह-शाम दंड पेलता है
तहसीलदार के जाली हस्ताक्षर बनाकर
चीनी और मिट्टी के तेल के
परमिट बना रहा है
हमको उल्लू बनाकर
पड़ोसियों को चूना लगा रहा है
सुना है लोगों ने
थाने में रिपोर्ट करा दी है
वह जेल जाने वाला है
मैंने कहा -- नहीं डार्लिंग
वह नेता बनने वाला है।
डा. वीरेन्द्र तरुण
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Monday, July 16, 2007
हम पुलिस हैं
दो पुजारी मोटरसाइकिल पर काफी तेज रफ्तार से जा रहे थे। पुलिस के सिपाही ने उनको रोका और कहा "यो आप क्या कर रहे हैं?, आप समझते हैं कि आप कोई अच्छा काम कर रहे हैं? कुछ हो जाता तो?", एक पुजारी बोला "नहीं कुछ नहीं होगा, हमारे साथ भगवान हैं।" सिपाही ने कहा कि तब तो आप चालान जरुर ही होगा क्योंकि एक मोटरसाइकिल पर तीन सवारी वर्जित हैं।
सबसे अच्छी पुलिस की दावेदारी के लिये दुनिया के तीन प्रसिद्ध पुलिस दल न्यूयार्क पुलिस, स्काटलैंड यार्ड और भारत की यूपी की पुलिस एक प्रतियोगिता में भाग ले रहे थे। प्रतियोगिता के जज सबको एक जंगल में ले गये और कहा कि आप लोग इस जंगल से एक भालू को पकड़ कर लाइये और जो पुलिस सबसे पहले पकड़ कर लाएगी उसे ही विजयी माना जायेगा।
सबसे पहले स्काटलैंड यार्ड की पुलिस जंगल में गयी और आधे घंटे में ही एक भालू को पकड़ कर ले आई।
इसके बाद न्यूयार्क पुलिस जंगल में गयी और केवल 15 मिनट एक भालू को पकड़ कर ले आई।
अंत में यूपी पुलिस जंगल में गई और 10 मिनट में एक खरगोश को पकड़ लाई जो जोर जोर से चिल्ला रहा था.. "मुझे मत मारो.. मैं भालू हूं...भालू हूं.... ।"
एक पुलिस वाले ने दूसरे पुलिस वाले से पूछा "क्या तुम खाना खाने से पहले प्रार्थना करते हो? मैं तो हमेशा करता हूं।"
दूसरे पुलिस वाले ने जबाब दिया "मुझे जरुरत नहीं है, मेरी पत्नी खाना अच्छा बनाती है।"
पुलिस के दो बड़े अधिकारी क्लब में आपस में बात कर रहे थे। बातचीत इस ओर मुड़ गई की किसका अर्दली ज्यादा बेवकूफ है। अपने अपने अर्दली को ज्यादा बेवकूफ साबित करने के लिये सोचा कि क्या किया जाये। पहले ऑफिसर ने अपने अर्दली को बुलाकर दस रूपये का नोट देकर कहा "जाओ इस 10रू. से बाजार से एम्बेसेडर कार खरीद कर लाओ।" , अर्दली ने सेल्यूट मारा और दस रू. लेकर चला गया। अब दूसरे ऑफिसर ने अपने अर्दली को बुलाया और कहा "जाओ देखकर आओ मैं अपने ऑफिस में बैठा हूं या नहीं।" अर्दली ने सेल्यूट मारा चला गया। दोनों अधिकारी अपने - अपने अर्दलियों की बातों को याद करके हंसने लगे।
क्लब के बाहर गेट पर बैठे अर्दली भी अपने साहबों पर हंस रहे थे। पहले ने कहा "मेरे साहब भी कितने बेबकूफ हैं, इन्हें ये ही नहीं पता कि आज सोमवार है और बाजार आज बंद रहता है और आज कार नहीं खरीदी जा सकती।" दूसरा अर्दली बोला "मेरे साहब भी ऐसे ही हैं, मैंने इन जैसा आलसी ऑफिसर अभी तक नहीं देखा, अरे खुद ही जाकर नहीं देख सकते कि ऑफिस में है कि नहीं।"
दिल्ली में एक महिला ने 100 नं. पर फोन किया और कहा "मैं सडक पर खड़ी हूं, मुझे अस्पताल जाना है, क्या करुं?" , पुलिस के कांस्टेबल ने कहा "आप वहीं खड़ी रहो, थोड़ी देर में खुद ही अस्पताल पहुंच जाओगी"
सड़क पर पुलिसवाला एक गाड़ी वाले से "रुको.. रुको.. तुम्हारी गाड़ी में हैडलाइट नहीं है।"
गाड़ीवाला "हट जाओ.. इस में ब्रेक भी नहीं हैं।"
एक पुलिस वाला एक चोर को जेल लेकर जा रहा था। रास्ते में हवा से पुलिस वाले की टोपी उड़ गई। चोर ने कहा "मैं आपकी टोपी उठा कर लाता हूं"। पुलिसवाले ने कहा "मुझे बेवकूफ समझता है क्या? तू यहीं रुक मैं टोपी लेकर आता हूं।"
एक पुलिस वाला दूसरे को सिखा रहा था कि चोर को कैसे पकडना चाहिये। दूसरा पुलिस वाला चोर पकड़ने गया और जल्द ही लौट आया। पहले पुलिस वाले ने पूछा कि क्या हुआ? चोर को पकड़ा कि नहीं? दूसरे पुलिस वाले ने कहा कि "चोर त नहीं पकड़ा लेकिन लेकिन उसकी उंगलियों के निशान मिल गये हैं। पहले पुलिस वाले ने पूछा "कहां", "मेरे गाल पर" दूसरे पुलिस वाले ने बताया।
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Wednesday, July 11, 2007
2020 में ग्राहक सेवा
सन 2020 में ग्राहक एक पिज्जा की दुकान पर पिज्जा का आर्डर करने के लिये फोन करता है।
ऑपरेटर - "फोन करने के लिये आपका धन्यवाद सर। क्या मैं आपका....."
ग्राहक - "क्या मैं आर्डर कर..... "
ऑपरेटर - "सर, पहले क्या मैं आपका मल्टी-परपज कार्ड नंबर जान सकता हूँ?"
ग्राहक - " यह है.. अरर... र...रर. रूको.... हां... 6102049998-45-54610"
ऑपरेटर - "ओ के.. हां आप मि. सिंह हैं और आप लाजपत नगर से बोल रहे हैं। आपके घर का नम्बर 40942366 है, ऑफिस का नम्बर 76452302 है और आपका मोबाइल नं. 9899994569 है, अभी आप 23415895 से बोल रहे हैं।"
ग्राहक - "घर.. ऑफिस.. अरे तुम्हारे पास मेरे सारे नम्बर कहां से आये?"
ऑपरेटर - "जी वो.. हम सिस्टम से कनेक्टेड हैं।"
ग्राहक - "... खैर.. क्या मेरा आर्डर लोगे...सी फूड पिज्जा.."
ऑपरेटर - "ये ठीक नहीं है सर.. "
ग्राहक - "कैसे?"
ऑपरेटर - "सर आपके मेडिकल रिकार्ड के अनुसार ... आपको.. उच्च रक्तचदाब की परेशानी है.. और आपका कोलेस्ट्रोल भी बढ़ा हुआ है।"
ग्राहक - "क्या...?.. फिर तुम कौन सा पिज्जा खिलाओगे?"
ऑपरेटर - "हमारा कम कैलोरी वाला.. वेज पिज्जा लीजिये.. हमें पता है आप इसे जरुर पसंद करेंगे"
ग्राहक - "तुम्हें कैसे पता..?.."
ऑपरेटर - "सर आपने पिछले हफ्ते .. पब्लिक लाइब्रेरी से शाकाहार पर कुछ पुस्तकें पढ़ने के ली थीं..।"
ग्राहक - "ठीक है..ठीक है.. अब तीन फैमिली साइज दे दो.. और कितने पैसे..हुये?"
ऑपरेटर - "ये आपकी 10 लोगों की फैमिली के लिये ठीक रहेगा... आपका कुल 617 रु. हुआ।"
ग्राहक - "क्या मैं क्रेडिट कार्ड से चुका सकता हूं?"
ऑपरेटर - "सर आपको.. नकद में चुकाना होगा..आपके क्रेडिट कार्ड की लिमिट पूरी हो गयी है.. और आपने बैंक से पिछले साल.. दो लाख का लोन लिया था..और आपके... हाउसिंग लोन की किस्त पर लेट चार्जेज भी लगे हुये हैं।"
ग्राहक - "तब तो तुम्हारे पिज्जा के आने से पहले..मुझे पड़ोस के एटीएम पर जा कर लकद निकालना होगा।"
ऑपरेटर - "नहीं.. सर आप नहीं निकाल पायेंगे..आपके रिकार्ड के अनुसार आप आज के दिन की पैसे निकालने की सीमा पूरी कर चुके हैं"
ग्राहक - "कोई बात नही.. मेरे पास कुछ नकद पैसा है.. डिलवरी में कितना समय लगेगा?"
ऑपरेटर - "करीब 45 मिनट सर.. अगर आप इंतजार न करना चाहें तो..आप अपनी मोटरसाइकिल पर आकर ले जा सकते हैं।"
ग्राहक - "क्या?"
ऑपरेटर - "हमारे रिकार्ड के अनुसार आपके पास एक मोटरसाइकिल है जिसका नम्बर 1123 है.. "
ग्राहक - "????"
ऑपरेटर - "और कुछ सर..?.. "
ग्राहक - "नहीं कुछ नहीं.. हां.. आप विज्ञापन में बताये के अनुसार 3 कोला की बोतलें तो भेज रहे हैं न..?"
ऑपरेटर - "सर.. आम तौर पर तो हम भेजते हैं.. लेकिन रिकार्ड के अनुसार.. आपको.. डायबिटीज भी है... "
ग्राहक - "@#$$^%&$@$%^"
ऑपरेटर - "अपना जबान पर ध्यान दीजिये सर... आपको याद होगा.. 15 जुलाई सन 2003 को आप को गाली-गलौज करने के आरोप में हवालात में रहना पड़ा था..."
ग्राहक गिर पड़ता है।
Posted by BS at 7:01 AM 6 comments
Monday, July 9, 2007
बहादुर मर्द
3 दोस्त रेस्तरां में बैठ कर बातें कर रहे थे। उनमें से 2 अपनी पत्नी को कितना नियंत्रण में रखते हैं, इस विषय पर बात कर रहे थे जबकि तीसरा एकदम चुप था। कुछ देर बाद उन दोनों ने तीसरे व्यक्ति से पूछा "अच्छा बताओ, तुम्हारा अपनी पत्नी पर कितना जोर चलता है?"
तीसरे व्यक्ति ने कहा "अब क्या बताऊं, अभी पिछली रात का ही बात है मेरा पत्नी दोनों हाथ जोड़े, घुटनों के बल चल कर मेरे पास आई।"
पहले दोनों व्यक्तियों ने आश्चर्य से पूछा "फिर क्या हुआ?"
तीसरा व्यक्ति छाती चौड़ी कर बोला "कुछ नहीं, उस ने मुझ से कहा कि बिस्तर के नीचे से बाहर निकलो और मर्द की तरह मेरा सामना करो।"
Posted by BS at 9:03 PM 2 comments
Labels: पति-पत्नी