हमारा टेलीफोन है
कितना महान!
एक नमूना देखिये श्रीमान
हमने लगाया रेलवे इंक्वायरी
और लग गया कब्रिस्तान
हुआ यों कि हमें
एक कवि सम्मेलन में जाना था
और रेलगाड़ी में अपना आरक्षण कराना था
इसलिये हमने रेलवे इंक्वायरी का
नंबर मिलाया
लेकिन हमें क्या मालूम कि उधर से
कब्रिस्तान के बाबू ने उठाया
बोल - 'फरमाइये'
हमने कहा - 'भाई साहब, हमें केवल एक बर्थ चाहिये
क्या मिल जाएगी?'
वो बोला - 'बैठे ही आपके लिये हैं
हमारी सेवा
किस दिन काम आयेगी !
हमारे होते हुये बिलकुल मत घबराइये
एक क्या, पचास सीटें खाली हैं
पूरे खानदान को ले आइये!'
-- प्रदीप चौबे
2 comments:
हा हा!!! बहुत खूब.
मज़ा आ गया जी
Post a Comment